राजस्थान के दौसा जिला अंतर्गत आभानेरी गांव में स्थित चांद बावड़ी दुनिया की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी है। 13 मंजिला ये बावड़ी स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है। 9वीं शताब्दी में निर्मित इस बावडी का निर्माण राजा मिहिर भोज (जिन्हें चाँद नाम से भी जाना जाता था) ने करवाया था। उन्हीं के नाम पर इस बावडी का नाम चाँद बावड़ी पड़ा। यह वर्गाकार बावड़ी, चारों ओर से लगभग 35 मीटर चैड़ी है। 13 मंजिला यह बावड़ी 100 फीट से भी ज्यादा गहरी है, जिसमें लगभग 3500 पक्की सीढ़ियाँ हैं।

चाँदनी रात में एकदम दूधिया सफेद रंग की तरह दिखाई देने वाली यह बावडी अँधेरे-उजाले की बावड़ी नाम से भी प्रसिद्ध है। इस बावड़ी में नृत्य मंडप और गुप्त सुरंग भी बनी हुई है। बावड़ी की खुदाई एवं जीर्णोद्धार में भी एक शिलालेख मिला है जिसमें राजा चाँद का उल्लेख मिलता है। इसकी विशेषता यह है कि बावड़ी में नीचे उतरने वाला व्यक्ति, वापस उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं चढ़ पाता। इसीलिए इसे भूलभूलैया भी कहते हैं।

यहीं पर 8 वी सदी के हर्षद माता मंदिर और प्रतिहारांे के महामारू शैली के मंदिर हैं जो 1200 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार आभानेरी गाँव 3000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। बताया जाता है कि आभानेरी गाँव का नाम पहले आभा नगरी (अर्थात् चमकदार नगर) था जो कालांतर में अपभ्रंश होकर आभानेरी हो गया। आभानेरी गुप्त युग के बाद तथा आरम्भिक मध्यकाल के स्मारकों के लिए भी प्रसिद्ध है।